अनेक ग्राम पंचायतों में समाचार पत्रों के खातों के स्थान पर पत्रकारों के खातों में सीधे हो रहा निविदा / टेंडर का भुगतान कमीशनबाजी के चक्कर में नौकरी ताख पर रख कर सचिव निविदा / टेंडर का कर रहे शासनादेश के खिलाफ भुगतान,
इटवा विकास खन्ड के अधिकांश ग्राम पंचायतों में तैनात सचिवों ने पहले ग्राम पंचायतों के निविदा / टेंडर को निकलवाने में खेल कर रहे हैं।अब सचिव व नाम चीन पत्रकारो की मिलीभगत से निविदा / टेंडर भुगतान में जमकर फर्जीवाड़ा का खेल किया जा रहा है । फर्जी तरीके से जहां पत्रकार अपने अखबार के मुख्यालय व अधिकारियों के आंखों में धूल झोंक कर फर्जी तरीके से मनमानी बिल बना कर मोटी रकम वसूल रहे है ।वही इस खेल में सेकेट्री की भी मिली भगत बताई जा रही है।
ग्राम पंचायतों के कार्यकाल का वित्तीय वर्ष 31 मार्च को पूर्ण होता है और 01 अप्रैल से नया वित्तीय वर्ष प्रारम्भ होता है । प्रतिवर्ष नये वित्तीय वर्ष में अर्थात् अप्रैल और मई महीने में ग्राम पंचायतों में एक वित्तीय वर्ष में होने वाले विकास कार्यों की निविदा / टेंडर निकाली जाती है । एक ग्राम पंचायत में दो निविदा / टेंडर प्रकाशित होती हैं । एक स्थानीय समाचार पत्रों में और दूसरा राष्ट्रीय समाचार पत्रों में प्रकाशित होता है । ग्राम पंचायतों के निविदा / टेंडर का प्रकाशन बीडीओ और साचिव के आदेश पर स्थानीय / राष्ट्रीय समाचार पत्रों में प्रकाशित होता है । निविदा / टेंडर प्रकाशित करने के लिए समाचार पत्रों को सरकार द्वारा जारी कुछ मानक पूर्ण करना पड़ता है । सरकार द्वारा जारी मानक पूर्ण वाले समाचार पत्रों को ही सरकारी निविदा / टेंडर प्रकाशित करने का अधिकार होता है और सरकारी निविदा / टेंडर का भुगतान सरकारी खातों से सीधे समाचार पत्रों के खातों में भुगतान होता है किसी अन्य खातों में निविदा / टेंडर का भुगतान करना शासनादेश के खिलाफ है ।
सूत्रों की माने तो ग्राम पंचायतों के निविदा / टेंडर प्रकाशन के लिए जिले स्तर से स्थानीय समाचार पत्रों की एक सूची जारी की गई थी जिसमें ऐसे समाचार पत्रों का नाम था जिसका सरकारी शासनादेश के अनुसार मानक पूर्ण था इन्ही समाचार पत्रों में ग्राम पंचायतों के निविदा / टेंडर का प्रकाशन कराने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों ने जिले के समस्त सचिवों को निर्देश दिया था। लेकिन सचिवों ने जिम्मेदार अधिकारियों के आदेश को दर किनार करके मनचाहा समाचार पत्रों में कमीशन के चक्कर में ऐसे समाचार पत्रों में निविदा / टेंडर प्रकाशित करवा लिया जाता है। जिनका न तो प्रसार है और न ही डीएबीपी,फिर भी बिना मानक पूर्ण किया अखबार भरपूर कमीशन के कारण टेंडर छपवाए जा रहे है ।और अब ऐसे समाचार पत्रों को फर्जी बिल बना कर मनमानी रेट भुगतान किया जा रहा है ।और यह भुगतान अनेक ग्राम पंचायतों में समाचार पत्रों के खातों के स्थान पर पत्रकारों के खातों में निविदा / टेंडर का भुगतान धड़ल्ले से किया जा रहा है जो पूर्ण रूप से गलत है और भ्रष्टाचार का संकेत है। कुछ सचिवों का कहना है कि निविदा / टेंडर के प्रकाशन की जांच कौन करता है ? कि निविदा / टेंडर किस समाचार पत्रों में प्रकाशित होती है और निविदा / टेंडर का भुगतान पत्रकारों के खातों में या समाचार पत्रों के खातों में हो रहा है।जिम्मेदार अधिकारियों को इतना जांच करने का कहां मौका है ? जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही उदासीनता से ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है । यदि ग्राम पंचायतों में प्रकाशित निविदा / टेंडर की जांच निष्पक्ष जांच नही किया गया तोअधिकतर सचिवों पर गाज गिर सकती है । जिस अखबार का रेट 2000है उन्हें 7से 8000 भुगतान किया जा रहा है।और सरकारी धन को बंदरबांट होने से बचबचाया जा सकता है । इसकी जांच हो ताकि इसका खुलासा हो और सच्चाई अखबार मुख्यालय तक को हो।
ग्राम पंचायतों का मालिक ग्राम साचिव लेकिन हक किसी और का
इटवा,सिद्धार्थनगर विकास खन्ड इटवा मे कई वर्षों से निविदा/टेंडर छापने और छपवाने का खेल चला आ रहा है
जानकारी के अनुसार विकास खन्ड इटवा मे ग्राम पंचायतो का चाहे टेंडर हो या शुभकामना संदेश ए अपने मर्जी से अखबार मे प्रकाशित नही करवाते वजह यह है की इनकी बागडोर कुछ पत्रकारों के हाथो मे होती है।इनको अपने ग्राम पंचायतों में हुऐ घोटालो का डर लगा रहता है।कि अगर इनसे मिलकर या इनकी बातो को नही मानेंगे तो कही पंचायत भवन समुदायक शौचालय साफ सफाई हेंडपम्प रिबोर विद्यालय मे कायाकलप ग्राम पंचायत मे बने नाली निर्माण कब बना और कब टूट गया।इन सबकी कमीशन खोरी का पता ना चल जाऐ नही तो अखबार में छप जाऐगा और लेने के देने पड़ जाएंगे जब की 87 ग्राम पंचायतो मे एक दो छोड़कर भरपूर योजनाओं को दिखा कर सरकारी निधि से पैसा को निकाला गया है वित्तीय वर्षो मे तो कई फर्जी तहर से भुगतान किया गया। एही वजह है कि ग्राम साचिव लोग कुछ कह नही पाते।