डा० जंगबहादुर चौधरी
इटवा,सिद्धार्थनगर । पूर्वांचल क्रान्ति रिपोर्टर को कुछ दिनों से पेट्रोल पम्पों द्वारा कम पेट्रोल डाले जाने की सूचनाएं मिल रही थी। लेकिन ये बात समझ में नहीं आ पा रही थी की जब मीटर चलता है तो ये पेट्रोल पंप वाले कम पेट्रोल कैसे डाल देते हैं। इसी उधेड़बुन को लेकर पूर्वांचल क्रान्ति रिपोर्टर टीम इसके जानकारी के लिये इटवा कस्बे के एक पेट्रोल पम्प पर पेट्रोल डलवाने गये जहां से ये शिकायते आ रही थी।
रिपोर्ट के मुताबिक
जब वह पेट्रोल पम्प पर पहुंचे तब उससे पहले दो और लोग पेट्रोल डलवा रहे थे इसीलिए और वह भी अपनी बाइक लाइन में लगा दी और गौर से कर्मचारियों के पेट्रोल डालने का निरीक्षण करने लगा। मारुती स्विफ्ट वाला पेट्रोल डलवा रहा था, उसने एक हज़ार रुपए का नोट गाड़ी के अन्दर से ही कर्मचारी को दिया चूँकि काफी भीड़ थी इसीलिए चालक ने बाहर आना उचित नही समझा । कर्मचारी ने पहले मीटर शून्य किया फिर उसमें हजार रुपए फीड किये और नोदल लेकर पेट्रोल डालने लगा । इस समय बतौर रिपोर्टर यह सोचने में व्यस्त था की जब मीटर में हजार रुपए फीड कर दिए गये हैं । तो निसंदेह हजार का ही पेट्रोल निकलेगा। फिर मैंने सोचा अगर मीटर में कुछ गड़बड़ नही है तो फिर आखिर ये लोग कैसे लोगों को बेवकूफ बनाकर कम पेट्रोल डाल देते हैं? हो सकता है मुझे झूठी शिकायत मिली हो ।
बस यही सोचते-सोचते मेरे सीधा ध्यान नोजल पर था तभी मुझे अचानक से कर्मचारी के हाथ में कुछ हरकत महसूस हुई उसने इतने धीरे से हाथ हिलाया की पास खड़े शख्स को भी संदेह न हो पाए लगभग 20 या 30 सेकेंड के बाद फिर उसने वही हरकत दोबारा की। अब मुझे दाल में कुछ काला लगा कि आखिर इसने दो बार हाथ में हरकत क्यूं की जबकि नोजल का स्विच एक बार दबा देने पर स्वत: पेट्रोल टंकी में गिरने लगता है। इतने में स्विफ्ट में 1000 Rs का पेट्रोल डालने के बाद उसने मुझसे आगे वाली बाइक में 100 का पेट्रोल डालना शुरू कर दिया। उसने वही क्रिया फिर दोहराई पहले मीटर को शून्य किया फिर नोजल टंकी में डालकर पेट्रोल डालने लगा लेकिन अचानक से उसने हाथ में फिर हरकत की लेकिन इस बार की हरकत 20 या 30 सैकिंड की न होकर 8 से10 सेकेंड की थी। अब मुझे समझ में आ गया हो न हो इसके नोजल में ही कुछ गड़बड़ है।
खैर उसके बाद मेरा नम्बर भी आ गया मैंने 200 रुपए देकर पेट्रोल डालने को कहा उसने फिर मीटर जीरो किया और नोजल डालकर पेट्रोल डालने लगा। इस बार मेरा पूरा ध्यान कर्मचारी की उंगलियों पर था। अभी नोजल डाले कुछ ही सेकेंड बीते होंगे की उसने उंगलियों में कुछ हरकत की लेकिन मै पहले से ही तैयार था तो उसके हरकत करते ही मैंने उसका हाथ पकड़कर नोजल बाहर खींच लिया। इस हरकत से कर्मचारी घबरा गया और मेरी बाइक भी लड़खड़ा गयी लेकिन ये क्या नोजल से तो पेट्रोल आ ही नही रहा था।
होता कुछ यूँ है की जिस नोजल से कर्मचारी पेट्रोल डालते हैं उसका सम्बन्ध मीटर से होता है अगर मीटर में 200 रुपए का पेट्रोल फीड किया गया है तो एक बार नोजल का स्विच दबाने पर स्वतः 200 रुपए का पेट्रोल डल जायेगा उसे ऑफ करने की कोई जरूरत नहीं है। स्विच सिर्फ मीटर को ऑन करने के लिए होता है उसका ऑफ से कोई सम्बन्ध नहीं होता क्योंकि मीटर फीड की हुई वैल्यू खत्म होने पर रुक जाता है अगर पेट्रोल डालते समय नोज़ल का स्विच बंद कर दिया जाये तो मीटर चलता रहता है। लेकिन नोजल बंद होने की वजह से पेट्रोल बाहर नहीं निकलता। इसी बात का फायदा उठाकर कर्मचारी करते ये हैं कि जब भी कोई पेट्रोल डलवाता है तो बीच-बीच में स्विच-ऑफ कर देते हैं जिससे रुक-रुक कर पेट्रोल टंकी में जाता है और हम कंपनी को कम माईलेज की गाड़ी कहकर कोसकर चुप हो जाते हैं।
फर्ज कीजिये आप पेट्रोल पम्प पर गये और 200 रुपए का पेट्रोल डलवाया 200 रुपए का पेट्रोल डलने में 30-45 सेकंड का समय लगता है आपका सारा ध्यान मीटर की रीडिंग पढ़ने में निकल जाता है। और अगर ये लोग 10 सेकंड के लिए भी स्विच ऑफ करते हैं तो समझ लीजिये आपका 50 रुपए का पेट्रोल कम डाला गया है।
कृपया सभी लोग आगे से जब भी पेट्रोल लेने जाएं और आपके साथ भी ऐसा कुछ हो तो इसका कड़ा विरोध कर पम्प के बाहर लिखे नम्बर पर कंपनी के अधिकारियों को सूचित कर कम्पलेन दर्ज कराये ताकि घट तौली पर अंकुश लग सके।